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ओली के बायान पर विपक्ष ने कहा- एनसीपी या तो ओली की सोच बदले और नहीं तो प्रधानमंत्री को ही बदल दें

चीन के इशारे पर भारत विरोधी बयान देने वाले वाले नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली अपने ही देश में घिरते जा रहे हैं। भागवान राम को नेपाल का बताने पर विपक्षी पार्टी नेपली कांग्रेस ने ओली की कड़ी आलोचना की है। पार्टी की तरफ से कहा गया है कि ओली ने देश पर शासन करने के लिए नैतिक और राजनीतिक आधार खो दिया है।

विपक्ष ने नेपाल की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) से प्रधानमंत्री की टिप्पणी पर जवाब मांगा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अयोध्या बीरगंज में है और भगवान राम का जन्म नेपाल में हुआ था। एक बयान में नेपाली कांग्रेस के प्रवक्ता बिश्वो प्रकाश शर्मा ने कहा कि उनकी पार्टी प्रधानमंत्री के हालिया बयानों से पूरी तरह से असहमत है। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसे गंभीर समय के दौरान प्रधानमंत्री की जिम्मेदारियां कुछ और है और वह कर कुछ और ही रहे हैं।

काठमांडू में पीएम आवास में सोमवार को आयोजित एक कार्यक्रम में ओली ने ने कहा, ‘अयोध्या असल में नेपाल के बीरभूमि जिले के पश्चिम में स्थित थोरी शहर में है। भारत दावा करता है कि भगवान राम का जन्म वहां हुआ था। उसके इसी लगातार दावे के कारण हम मानने लगे हैं कि देवी सीता का विवाह भारत के राजकुमार राम से हुआ था। जबकि असलियत में अयोध्या बीरभूमि के पास स्थित एक गांव है।’

शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री ओली ने देश को चलाने के लिए नैतिक और राजनीतिक आधार खो दिया है। प्रधानमंत्री का बयान सरकार का आधिकारिक विचार है या नहीं, इसे स्पष्ट किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह निर्णय सत्तारूढ़ एनसीपी को लेना है कि या तो वह पूरी तरह से प्रधानमंत्री की सोच को बदले, उनकी कार्यशैली को बदले और अगर ऐसा नहीं हो सकता तो प्रधानमंत्री को ही बदल दें।

बता दें कि ओली पहले से ही अपनी ही पार्टी के नेताओं के कड़े विरोध का सामना कर रहे हैं, जो उनकी निरंकुश कार्यशैली और पिछले दिनों भारत विरोधी बयान पर उनके इस्तीफे का दबाव बना रहे हैं। शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री ओली प्रथाओं, संविधान और संवेदनशीलता को भूल गए हैं और सरकार को अपने निजी स्वार्थ के लिए चला रहे हैं।

नेपाली कांग्रेस के युवा नेता और काठमांडू के संसद सदस्य गगन थापा ने कहा है कि प्रधानमंत्री ओली ने जानबूझकर अपनी कुर्सी बचाने के लिए उस समय बयान दिया जब सत्ता पक्ष के भीतर आंतरिक झगड़ा चल रहा था। उन्होंने ट्वीट किया, ‘राजनीतिक स्टंट के जरिए अपनी कुर्सी बचाने का यह एक जानबूझकर किया गया प्रयास है।’

इस बीच ओली के बयान का भारत से लेकर नेपाल तक में लगातार विरोध हो रहा है। संत समाज के एक समूह ने ओली की टिप्पणी का विरोध करते हुए सीता के जन्म स्थान जनकपुर में एक सरकार विरोधी रैली का आयोजन किया। उन्होंने ओली विरोधी नारे लगाए और प्रधानमंत्री से अपना बयान वापस लेने की मांग की। हिंदू परिषद नेपाल के अध्यक्ष मिथिलेश झा ने कहा कि ओली के बयान से दुनिया भर के करोड़ों हिंदुओं की भावना आहत हुई है।

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