WHO ने चेतावनी दी कि कोविड-19 के उपचार में बिना परीक्षण वाली दवाओं का इस्तेमाल खतरनाक हो सकता
कोरोना वायरस(COVID-19) की गिरफ्त में आकर विश्वभर में सैकड़ों लोगों की जान रोजाना जा रही है। समस्या ये है कि इस वायरस से लड़ने के लिए अभी तक कोई दवा या वैक्सीन ईजाद नहीं की जा सकी है। इसलिए कई अन्य रोगों में इस्तेमाल होने वाली दवाओं का इस्तेमाल कोरोना वायरस से पीडि़त लोगों पर किया जा रहा है। हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे लेकर पूरे विश्व को चेतावनी दी है कि ऐसा करना खतरनाक साबित हो सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी कि कोविड-19 के उपचार में बिना परीक्षण वाली दवाओं का इस्तेमाल खतरनाक हो सकता है और इससे झूठी उम्मीदें जग सकती हैं। डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टी. ए. गेब्रेयेसस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, ‘देखिए, बिना सही साक्ष्य के बिना परीक्षण वाली दवाओं का इस्तेमाल करने से झूठी उम्मीदें जग सकती हैं। यह लाभ के बजाए ज्यादा नुकसान कर सकती हैं और आवश्यक दवाओं की कमी हो सकती है, जिनकी जरूरत अन्य बीमारियों के उपचार में होती हैं।’
हालांकि, इस बीच डब्ल्यूएचओ के निदेशक डॉ. माइकल जे रायन ने कहा कि कोरोना वायरस का भविष्य में कैसा असर रहेगा, यह भारत जैसी बड़ी जनसंख्या वाले देशों की कार्रवाई पर तय होगा। साथ ही उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि चीन की तरह भारत बहुत बड़ी जनसंख्या वाला देश है। कोरोना वायरस के दूरगामी परिणाम इस बात पर निर्भर करेंगे कि बड़ी जनसंख्या वाले देश इसे लेकर क्या कदम उठाते हैं। यह बहुत जरूरी है कि भारत जनस्वास्थ्य के स्तर पर कड़े और गंभीर निर्णय अपनी लोगों के लिए लेना जारी रखे।
बता दें कि एड्स से लेकर मलेरिया तक की दवाइयों का इस्तेमाल इन दिनों कोरोना वायरस के मरीजों पर हो रहा है। कुछ मामलों में इन दवाइयों ने मरीजों पर असर भी किया है। भारत के राजस्थान में तीन मरीज के अन्य रोगों में इस्तेमाल होने वाली दवाओं के सेवन से ठीक होने का दावा भी किया जा रहा है। चीन में भी कोरोना मरीजों पर एड्स की दवाइयों के इस्तेमाल की बात सामने आई थी। हांलाकि, अब इन दवाओं के इस्तेमाल पर डब्ल्यूएचओ की चेतावनी सोचने पर मजबूर करती है। वैसे, बता दें कि अमेरिका और चीन में कोरोना वायरस की वैक्सीन पर तेजी से काम हो रहा है। उम्मीद है कि कुछ महीनों में वैक्सीन तैयार हो जाएगी।