ऐतिहासिक झंडा मेला इस बार पंचमी के दिन आरोहण के साथ शुरू
(संवाददाता Uk Sahara)
देहरादून। देहरादून का ऐतिहासिक झंडा मेला इस बार पंचमी के दिन 22 मार्च को झंडेजी के आरोहण के साथ मेला शुरू होगया। वही श्रीगुरू रामराय दरबार साहिब को पुष्पों और रग.विरंगी लाइट से सजाया गया है। बता दे कि यह झंडा मेला प्रतिवर्ष होली के 5वें दिन बाद आयोजित होता है। जो कि सिक्ख गुरू रामराय जी के जन्म दिवस के अवसर पर 15 दिनों तक चलता है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक श्री गुरु राम राय महाराज देहरादून के संस्थापक हैं। इसी दिन 1676 मेंें गुरूराम राय जी देहरादून आए थे। साथ बता दे कि दून का नाम पहले डेरादून था। और फिर बाद में देहरादून पड़ गया। उन्होंने इस धरती को अपनी कर्मस्थली बनाया। उसके बाद से आज तक उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के नाम से ही जानी जाती है।
वही देवभूमि देहरादून को द्रोणनगरी में प्रेम, सद्भावना और आस्था का प्रतीक झंडा मेला दरबार साहिब के मंगलवार 22 मार्च को 10.00ं बजे श्रीझंडे जी को गिलाफ चढ़ाने की प्रक्रिया शुरू होगी। साथ ही दोपहर में 2.00PM से 3.30PM बजे के बीच दरबार साहिब के सज्जादानशीन श्रीमहंत देवेंद्र दास महाराज की अगुआई में श्रीझंडे जी का आरोहण हुआ। जैसे ही श्रीझंडे जी आरोहण हुआ। इस दौरान वातावरण श्री गुरु राम राय महाराज की जय, जो बोले सो निहाल, सतश्री अकाल, सच्चे दरबार की जय, दरबार साहिब की जय आदि जयकारों से गूंज उठा। इस दौरान संगतों ने ढोल की थाप पर नृत्य भी किया।
संगतों ने मन्नत मांगते हुए दर्शनी गिलाफ चढ़ाए।दर्शनी गिलाफ चढ़ाने के बाद लगभग 3.30 बजे अपराह्न संगतों ने फूलों की वर्षा के बीच झंडे जी का आरोहण किया। इस बार 90 फ़ीट के झंडे जी को चढ़ाया गया है। श्रद्धालु भी झंडे जी के दर्शन पाकर निहाल हो गए। इस बार ध्वजदंड भी बदला जाएगा। मेला प्रबंधन समिति को प्रशासन की गाइडलाइन का इंतजार है। बीते 2 वर्षों से कोविड गाइडलाइन के चलते मेले को संक्षिप्त किया जा रहा था। झंडा मेले में हर तीन वर्ष में झंडेजी के ध्वजदंड को बदलने की परंपरा रही है। इससे पूर्व वर्ष 2020 में ध्वजदंड बदला गया था। इस वर्ष नया ध्वज दंड लगभग 90 फीट ऊंचा हैं।
श्री दरबार साहिब में लाकर पूजा-अर्चना के बाद कृष्ण पंचमी यानी मंगलवार 22 मार्च को मेले में झंडेजी पर गिलाफ चढ़ाने की भी अनूठी परंपरा है। चैत्र पंचमी के दिन झंडे की पूजा-अर्चना के बाद पुराने झंडेजी को उतारा जाता है और ध्वजदंड में बंधे पुराने गिलाफ, दुपट्टे आदि हटाए जाते हैं। दरबार साहिब के सेवक दही, घी और गंगाजल से ध्वजदंड को स्नान कराते हैं। इसके बाद शुरू होती है। झंडेजी को गिलाफ चढ़ाने की प्रक्रिया। झंडेजी पर पहले सादे (मारकीन के) और फिर सनील के गिलाफ चढ़ाए जाते हैं। सबसे ऊपर दर्शनी गिलाफ चढ़ाया जाता है और फिर पवित्र जल छिड़ककर श्रद्धालुओं की ओर से रंगीन रुमाल, दुपट्टे आदि बांधे जाते हैं। दरबार साहिब में मंगलवार को सुबह सात बजे पूजा-अर्चना के बाद पुराने श्रीझंडे जी को उतारा जाएगा। इसके बाद नए श्रीझंडे जी को गंगाजल और पंचगव्य से स्नान कराया। वही इस मेले में भाग लेने के लिए देश-विदेश से भारी संख्या में संगत और श्रद्धालु देहरादून पहुंचे हैं। सुबह सात बजे से पुराने श्री झंडे जी को उतारने का कार्यक्रम शुरू हुआ। 24 मार्च को ऐतिहासिक नगर परिक्रमा होगी।
वही, लाखों की संख्या में श्रद्धा व भक्ति भाव संगतें डूब गई। वही आस्था का प्रतीक ऐतिहासिक श्री झंडा जी मेले का श्री झंडा जी आरोहण के दौरान देश.विदेश से संगतें मत्था टेकने पहुंचती हैं। वही दरबार साहिब में संगतो ने शीश नवाने और श्री गुरु राम राय महाराज का आशीर्वाद प्राप्त करने को देश.विदेश से लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। इसी के साथ उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों के साथ ही उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान से संगतें दून पहुंच गईं। वही इस मौके पर देहरादून दरबार साहिब के सज्जादानशीन श्रीमहंत देवेंद्र दास महाराज ने श्रीझंडे जी के आरोहण की पूर्व संध्या पर संगतों को गुरुमंत्र दिया। गुरु की महिमा का महत्व बताया।
उन्होंने कहा कि गुरु के बताए मार्ग पर चलने वाले को पृथ्वी पर ही स्वर्ग की अनुभूति मिल जाती है। सामाजिक कुरीतियों को दूर करने का संदेश देते हुए उन्होंने श्रद्धालुओं से कहा कि नशा, दहेज प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ मजबूत आवाज बनें और एक समृद्ध समाज के निर्माण में अपनी भूमिका सुनिश्चित करें। पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए पौधारोपण और जल का सही उपयोग करें।
बता दे कि श्री गुरु राम राय ने वर्ष 1676 में दून में डेरा डाला था। उनका जन्म 1646 में पंजाब के होशियारपुर जिले के कीरतुपर में होली के पांचवें दिन हुआ था। इसलिए दरबार साहिब में हर साल होली के पांचवें दिन उनके जन्मदिवस पर झंडा मेला लगता है। गुरु राम राय ने ही लोक कल्याण के लिए विशाल ध्वज को यहां स्थापित किया था।