इन महिला अधिकारियों ने संभाली आपदा राहत कार्यो की कमान
देहरादून । उत्तराखंड के चमोली जिले के आपदाग्रस्त क्षेत्रों में चलाए जा रहे बचाव अभियान के नौवें दिन सोमवार को 3 और शव मिलने से बाढ़ में मरने वालों की संख्या बढ़कर 54 हो गई है। इस राहत और बचाव कार्य की कमान 4 बेहद प्रतिभाशाली महिला अफसरों के हाथ में हैं।
जिन 4 महिलाओं के हाथ में राहत और बचाव कार्य की कमान हैं, उनके नाम है।
- चमोली की जिलाधिकारी स्वाति भदौरिया
- आईटीबीपी की डीआईजी अपर्णा कुमार
- गढ़वाल रेंज की डीआईजी नीरू गर्ग
- एसडीआरएफ की डीआईजी रिद्धिम अग्रवाल
2011 बैच की आईएएस अधिकारी स्वाति भदोरिया के लिए ग्लेशियर बर्स्ट और उसके बाद का रेस्क्यू ऑपरेशन पहला अनुभव है। उन्होंने कहा कि चीजों को कोऑर्डिनेट करना, कंट्रोल रूम बनाना, परिजनों से मिलना और उन्हें संबल देना, रेस्क्यू ऑपरेशंस चलवाना, बिजली सप्लाई बहाल करना, खाना देना और जो लापता हैं, उनकी लिस्ट तैयार करना एक बड़ी चुनौती था। जब आपदा आई तो पहले 3 दिन वह तपोवन में डेरा डाले रहीं जबकि उनका 3 साल का बेटा गोपेश्वर में रहा।
2005 बैच की ही आईपीएस रिद्धिम अग्रवाल एसडीआरएफ में डीआईजी हैं। उनकी टीम मौके पर सबसे पहले पहुंची थी। एसडीआरएफ के लोग ही उस झील तक ट्रेक करके गए जो रेणी गांव के ऊपर बनी है। अग्रवाल ने कहा कि एसडीआरएफ ने पूरे रेस्क्यू और रिलीफ ऑपरेशंस में अहम रोल अदा किया है। उन्होंने कहा कि निजी जिंदगी में भी चुनौतियां थीं लेकिन फोकस जिंदगियां बचाने और रेस्क्यू ऑपरेशंस पर था।
2005 बैच की आईपीएस अफसर नीरू गर्ग ने रेणी और तपोवन में पुलिस ऑपरेशंस की कमान संभाल रखी है। उन्होंने कहा कि हम लोगों को बचाने और लापता लोगों को ढूंढने की हरसभंव कोशिश कर रहे हैं।” नीरू मानती हैं कि वह अपनी 9 साल की बेटी को उतना वक्त नहीं दे पा रहीं जो हरिद्वार में रहकर एग्जाम दे रही है। उन्होंने कहा कि मुझपर उससे भी बड़ी जिम्मेदारियां हैं, जो मुझे निभानी हैं।
2002 बैच की आईपीएस अधिकारी अपर्णा कुमार किसी पहचान की मोहताज नहीं। वह यहां पर रेस्क्यू में लगी आईटीबीपी की टीम का नेतृत्व कर रही हैं। वह दुनिया की सात सबसे ऊंची चोटियों पर भारत का राष्ट्रध्वज लहरा चुकी हैं।