27 में से 17 मरीजों ने दी कोविड-19 को मात
मेरठ |- कोविड-19 के निशाने पर भीलवाड़ा जिले को सीएम अशोक गहलोत के नेतृत्व में राजस्थान सरकार और स्थानीय प्रशासन के समर्पित प्रयासों के बाद अब वापस पटरी पर लौट आया है। 2 मार्च को राजस्थान में कोविड-19 का पहला मामला दर्ज किया गया था और पहले ही दिन राज्य में सख्त कार्रवाई की गई थी। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कहा कि “ लगभग 5 करोड़ लोगों की जांच की गई है और अब तक 1 करोड़ 17 लाख घर का परीक्षण किया गया है। कर्फ्यू लगाने के साथ हालात भी नियंत्रित थे और आज राजस्थान में 34 जगहों पर कर्फ्यू लगा हुआ है। ” “COVID-19 पॉजिटिव पाए गए संक्रमित मरीजों के 2 किमी क्षेत्र को सील कर गया है और उनकी जांच की जाती है। आज, राजस्थान में कुल संक्रमित मरीजों की संख्या में से, लगभग 30-32 ईरान से जैसलमेर और जोधपुर में निवासी हैं। संक्रमित मरीजों को अन्य से अलग-थलग रखा जा रहा है। एकमात्र चिंता ऐसे लोगों की है जो सकारात्मक रूप से सामने आ रहे हैं और उन्होंने कहीं यात्रा या संपर्क का कोई इतिहास नहीं है।” “केंद्र सरकार के अधिकारी मुख्य सचिव के संपर्क में हैं और जब भी उनके साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग होती है, वे भीलवाड़ा का उल्लेख करते हैं। जिस दिन हमें डॉक्टर के भीलवाड़ा में वायरस के साथ पॉजिटिव होने के मामले के बारे में पता चला, हमने सीमाएँ सील कर दीं जो कि महत्वपूर्ण और साहसिक कदम था” मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, “गांवों के 22 लाख परिवारों, शहर के लगभग 10 लाख परिवारों का परीक्षण किया गया है । जिसके चलते भारत में कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भीलवाड़ा आज एक मिसाल बन कर सामने आया है।” राज्य में बिना किसी छुट्टी के दिन-रात काम कर रहे, स्वास्थय कर्मी से लेकर होमगार्ड, पुलिस कर्मी, सरकारी अधिकारी और कोविड-19 के मरीजों की जांच में जुटे हुए हैं। यह केवल कर्तव्य नहीं है, जिसको पूरा करने में सब लगे हैं, बल्कि यह एक शहर, एक राज्य और एक देश को बचाने की मुहिम हैं। भारत में, कोविड-19 के कुछ हॉटस्पॉट थे , जिन्हें कोरोनावायरस के एपिसेंटर के रूप में चयनित किए गए थे। 10 प्रमुख स्थानों की सूची में राजस्थान का भीलवाड़ा भी था। कुछ दिन पहले, राज्य के 18 में से 12 मामले भीलवाड़ा से थे । बता दें कि कुल 27 मामलों के साथ, इस जिले को राजस्थान का सबसे प्रभावित इलाका माना गया था। लेकिन कड़ी मेहनत और अथक प्रयासों के बाद, इस जिले के 17 मरीज ठीक हो गए है,जिनमें से 11 डिस्चार्ज भी कर दिए गए हैं। भीलवाड़ा के एसपी हरेंद्र महावर ने कहा, ‘‘हमारी टीमें छह हिस्सों में बांटी गई है जिसकी प्रक्रिया के तहत जिले में काम कर रहे हैं। शुरूआत से कर्फ्यू लगाने से हुई थी। वहीं उन कॉलोनियों में पुलिस सर्वेक्षण के काम के साथ, समन्वय किया जा रहा है। ज्यादा ध्यान बांगर अस्पताल पर किया जा रहा हैं क्योंकि वहीं से यह सब शुरू हुआ था।’’ एसपी ने यह भी बताया कि बांगर अस्पताल के कोविड-19 के पॉजिटिव डॉक्टर से लगभग पांच हजार से ज्यादा लोगों ने चेकअप करवाया था। इसीलिए आईपीडी और ओपीडी के मरीजों की भी जांच की गई थी। कोविड-19 को मात देने के लिए, लगभग 6,000 लोगों की स्क्रीनिंग की गई और केवल 2 दिनों के अंदर ही उनको आइसोलेशन में भेज दिया गया था। अस्पताल में आए मरीज लगभग 19 जिलों व चार राज्यों से थे,इसलिए उनकी पहचान के लिए करना संघर्षपूर्ण था क्योंकि अचानक से पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़ रही थी। हर एक व्यक्ति को सख्ती से आइसोलेशन में भेजा जा रहा था । भोजन और अन्य आवश्यक चीजों की आपूर्ति की व्यवस्था करने के तुरंत बाद सख्त आदेशों के तहत 15 मिनट के भीतर कर्फ्यू लगा दिया गया था। सीएलजी सदस्य, समुदाय के नेताओं और धार्मिक गुरुओं से संपर्क किया गया और उनसे अपील की गई कि जनता को घर में रहने के लिए प्रेरित करें। ऐसे प्रयासों के लिए अपील करने वाले वीडियो बनाए गए और कुछ अवांछित सामाजिक तत्वों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई। बता दें कि इस मुहीम में करीब 600 वाहनों को भी जब्त किया गया है। महावर ने कहा, ‘‘मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मुश्ताक खान के नेतृत्व में स्वास्थ्य अधिकारियों की टीम ने एक सराहनीय काम किया, जिसके बाद स्थानीय प्रशासन और अन्य कर्मचारियों ने जबरदस्त प्रयास किया।’’ सीएमएचओ, डॉ मुश्ताक खान ने कहा कि, “हमने एहतियात और उपचार पर समान रूप से काम किया। मुख्य कार्य पहले रोगी के रिश्तेदारों की पहचान करना था और उन्हें अलग करना था। मैं कहूंगा कि यह लड़ाई हमने एक बड़े पैमाने पर लड़ी है और सही समय पर सब कुछ नियंत्रण में आ गया।’’ इसके अलावा, “हम नियमित रूप से मरीजों को डिस्चार्ज करने के बाद भी उन्हें ट्रैक कर रहे हैं। अब तक, 11 रोगियों को हमने छुट्टी दे दी है। इनमें से प्रत्येक की 3-3 नकारात्मक रिपोर्ट आने के बाद ही उनको छुट्टी दी गई है। लोगों ने हम पर भरोसा किया, उन्होंने हमारा समर्थन किया और दोनों पक्षों के प्रयासों से, आज भीलवाड़ा मजबूत स्थिति में है । ” भीलवाड़ा के जिलाधिकारी राजेंद्र भट्ट ने घटनाक्रम पर बात करते हुए कहा, “हमने कोरोना सेनानियों को गांवों में भी नियुक्त किया है, जिनका नेतृत्व कोरोना के कप्तान एस.डी.एम स्वयं कर रहे थे । वे ग्रामीण क्षेत्रों में स्क्रीनिंग पर दैनिक रिपोर्ट पर काम कर रहे हैं। जिसमें समुदाय में किसी भी तरह के संकेत मिलने के बारे में जानकारी होती है। हमें खुशी है कि अब तक, कोरोना मरीजों संख्या कम हो गई है और प्रत्येक और हर विभाग ने मिलकर, इस कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के लिए काम कर रहा है। चाहे वह खाद्य और आपूर्ति, पुलिस, होमगार्ड, चिकित्साकर्मी और जनता हो, हम एक साथ लड़ाई लड़ रहे हैं और इससे लगभग बाहर निकल चुके हैं।’’ “हमने कुछ और दिनों के लिए पूरी तरह शटडाउन को बढ़ाया है और लोगों को उनके दरवाजे पर आवश्यक सामग्री मुहैया कराई जा रही है । कोई भी दुकान, डेयरी, मेडिकल स्टोर खुला नहीं है । अगर लोग कुछ चाहते हैं, तो वे सीधे हमें फोन करते है, चाहे वह दवा, भोजन या कुछ और की जरुरत हो। इसके लिए, कई विभागों में कम से कम 4-5 नियंत्रण कक्ष संचालित किए जा रहे हैं और हम मांगों को पूरा करने में जुटे हुए हैं। कोरोना वायरस महामारी को नियंत्रित करने और आने वाले कुछ दिनों में भीलवाड़ा को कोविड-19 मुक्त बनाने के लिए यह एक आवश्यक कदम है। जिस गति के साथ हमें वांछित परिणाम मिल रहे हैं, हम इसे जल्द ही रोक देंगे।’’ जैसा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वादा किया था कि ‘कोई भी भूख नहीं सोयेगा ’(नोबडी विल स्लीप हंगरी ) , हम उनके मार्गदर्शन के अनुसार हर आवश्यक सामान घरों तक पहुँच रहे हैं। प्रशासन ने 42 अस्पतालों के पॉजिटिव रोगियों के लिए समर्पित बेड के साथ अधिग्रहित किया है। 1551 बिस्तर क्वारंटाइन की सुविधा के साथ होटल और अन्य ऐसे प्रतिष्ठानों में तैयार किए गए हैं। इसके अलावा, उन जगहों की पहचान की गई है जहाँ जरूरत पड़ने पर 10-15,000 बिस्तरों व्यवस्था की जा सकती है। स्वास्थ्य देखभाल अधिकारियों के लिए 3-स्तरीय सुरक्षा भी तैनात की गई है। परिसर के बाहर एक बैरिकेडिंग, प्रवेश द्वार पर एक चेक और अलगाव वार्ड में पुलिस की तैनाती की गई है जिससे भीलवाड़ा को रोल-मॉडल को इस बीमारी से अनुशासन के साथ निपटा जा सके । डिप्टी एसपी को तैनात किया गया है जो परिसर में प्रवेश करने से पहले या ड्यूटी चार्ज लेने से पहले मेडिकल स्टाफ को सैनिटाइज करने के मामलों की देखरेख करते हैं। पिछले कुछ दिनों में 25-30 लाख स्क्रीनिंग की गई है और हर रोज की जिले की जानकारी जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक को भेजी जा रही है। जिस शहर को कोविड-19 रोगियों का नाम दिया गया था, पिछने तीन दिनों से वहां पर एक भी पॉजिटिव रोगी नहीं पाया गया है। इस काम में एक और पंख जोड़कर, जिला प्रशासन की कड़ी मेहनत और समर्पण ने रोगियों को ठीक भी किया है।