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वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने किया पुलिस कार्यालय स्थित आंकिक शाखा का वार्षिक निरीक्षण

देहरादून । वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा पुलिस कार्यालय स्थित आंकिक शाखा का वार्षिक निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महोदय द्वारा आंकिक शाखा में रखे अभिलेखों के अवलोकन के दौरान पाया कि थानों, सीपीयू तथा ट्रैफिक पुलिस द्वारा एम0वी0 एक्ट में जो चालान किये जा रहे है, उसकी धनराशि उनके द्वारा नगदी के रूप में पुलिस कार्यालय में जमा कि जा रही है जो पुलिस कार्यालय में माध्यम से बैंकों में जमा की जाती है, जिससे भविष्य में गंम्भीर वित्तीय अनियमिताएं हो सकती है।

जिसके लिए सभी थानों, सीपीयू तथा ट्रैफिक पुलिस द्वारा चालान की कार्यवाही को शत प्रतिशत ई- चालान के माध्यम से ऑनलाइन करने तथा अभी तक किये गये चालानों के संयोजन की धनराशि को प्रत्येक थाने/ यातायात कार्यालय से क्रास चेक करने के निर्देश दिये गये, जिससे की इस बात का पता चल सके की कितनी धन राशि थानों/ यातायात कार्यालय के माध्यम से प्राप्त हुई और कितनी धन राशि बैंक में जमा कि गयी है। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि नगदी के रूप मे जितनी भी धन राशि कैश कार्यालय में प्राप्त कि गयी है, उसे क्रास चैक करने के लिए बैरियर नही बनाये गये है।

इसके लिए एकांउन्टैन्ट को निर्देशित किया गया कि वह उक्त धनराशि को चैक करने हेतु क्रास चैक बैरियर बनवाये, जिससे की किसी भी प्रकार की अनियमितता से बचा जा सके और इसके लिए एक व्यक्ति को नियुक्त कर उक्त क्रास चैक की कार्यवाही की जाये। इसकेे अतिरिक्त जिला सहायता फंड में आय कम होने तथा उसके सापेक्ष व्यय धनरशि के अधिक होने के दृष्टिगत उसमें सुधार करने हेतु आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये। जनपद के विभिन्न मदों में उपलब्ध धन राशि के अवलोकन के दौरान पाया गया कि उसमें से अधिकतर धनराशि के बैंको में रखी गयी है, जिसमें ब्याज कम होने के कारण आर्थिक नुकसान हो रहा है।

जिसके दृष्टिगत आंकिक पुलिस कार्यालय को उपलब्ध धनराशि का 80 प्रतिशत एफ0डी0 के रूप में रखने तथा शेष 20 प्रतिशत धनराशि को रनिंग के तौर पर रखने के निर्देश दिये गये। साथ ही आगामी 7 मार्च तक प्रत्येक कर्मचारी की भविष्य निधि खाते की पुस्तिका को उक्त कर्मचारी को दिखाते हुये उसमें उसके हस्ताक्षर करवाकर इस बात को सुनिनिश्चित करने के निर्देश दिये गये की किसी कर्मचारी को अपने भविष्य निधि खाते मे जमा धनराशि के सम्बन्ध में कोई शंका अथवा आपत्ति तो नही है। इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार के मदो में जिन कर्मचारियों से वसूली की जा रही है, उसके लिए एक अलग से रजिस्टर बनाते हुये प्रत्येक माह एक निश्चित अनुपात के रूप मे वसूली सुनिश्चित करने के निर्देश दिये गये, साथ ही स्पष्ट किया की यदि इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही परिलक्षित होती है तो जवाबदेही एकाउन्टैन्ट की मानी जायेगी।

साथ ही स्पष्ट किया कि यदि कोई पुलिस कर्मचारी अपने वेतन, जीपीएफ, चिकित्सा प्रतिपूर्ति आदि से सम्बधिंत कोई समस्या लेकर कार्यालय में आये तो उसका तत्काल उसी दिवस में निस्तारण सुनिश्चित किया जाए, यदि इसमें किसी प्रकार की हीलहवाली अथवा टरकाने वाली स्थित पायी जाती है, तो समबधित के विरूद्ध कडी कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी। पेंडिंग चिकित्सा प्रतिपूर्ति बिलों की समीक्षा के दौरान उनके जल्द भुगतान हेतु अकाउंटेंट को निर्देशित किया गया।

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