रुड़की शहर को नगर निगम बोर्ड ने डुबोया,कुछ पार्षदों के कारण समय से नहीं हो सकी नाला गैंग के कर्मचारियों की नियुक्ति
रुड़की शहर को नगर निगम बोर्ड ने डुबोया
कुछ पार्षदों के कारण समय से नहीं हो सकी नाला गैंग के कर्मचारियों की नियुक्ति
जो नालों की सफाई का कार्य ढाई महीने पहले शुरू होना चाहिए था वह 15 जून को जाकर शुरू हो सका
रुड़की। इसमें कहीं कोई संदेह नहीं है कि रुड़की शहर को नगर निगम रुड़की बोर्ड ने डुबोया है। वजह साफ है कि मानसून की दृष्टि से जो कार्य अप्रैल माह के पहले सप्ताह में शुरू हो जाने थे वह 15 जून के बाद शुरू हो सके। मसलन कुछ पार्षदों की ढींगामस्ती के कारण नालों की सफाई के लिए लाया गया प्रस्ताव बोर्ड की बैठक में निरस्त हुआ। जिसके चलते नाला गैंग के 300 कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं हो सकी। 530 नंबर का यह प्रस्ताव 15 फरवरी की बोर्ड की बैठक में रखा गया था। जिसमें सौ बड़ी डस्टबिन खरीदी जानी थी। ताकि शहरवासी कूड़ेदान में कूड़ा डाल सके। गली मोहल्लों में कूड़ा न फैल सके।
इसी प्रस्ताव में डेंगू की रोकथाम के लिए स्प्रे मशीन खरीदी जानी थी। वह भी नहीं खरीदी जा सकी। इसके बाद 23 मई को नगर निगम बोर्ड की बैठक हुई। जिसमें सीवर जेटिंग मशीन,मोबाइल टॉयलेट व नाला गैंग के लिए 300 कर्मचारियों की नियुक्ति का प्रस्ताव लाया गया। अब इस प्रस्ताव में मात्र नाला गैंग के कर्मचारियों की नियुक्ति को हरी झंडी मिल पाई। इसमें भी 15 जून को जाकर नाला गैंग ने अपना काम शुरू किया। यानी की ढाई महीने बाद नाला गैंग द्वारा नालों की सफाई का कार्य शुरू किया गया और जब नालों की सफाई का कार्य शुरू हुआ तभी प्री मानसून ने दस्तक देना शुरू कर दी और नालों की सफाई का कार्य पूरा होता कि उससे पहले ही बरसात ने जोर पकड़ लिया और जो थोड़े बहुत नालों की सफाई हुई भी थी उसकी सिल्ट भी बारिश के कारण वापस नाले में पहुंच गई।
इसी के चलते नाला व नाली चोक हो गई और इसी वजह से पूरा शहर डूब गया। अब उन पार्षदों से सवाल किया जाए कि जब उन्होंने मानसून की दृष्टि से निगम बोर्ड की बैठक में मेयर गौरव गोयल के द्वारा रखा गया 530 नंबर को प्रस्ताव को निरस्त करा दिया तो फिर शहर के नालों में नालियों की सफाई समय रहते कैसे होती। अब वह यदि यह कह रहे हैं कि जलभराव की समस्या के कारण लोग परेशान हैं और मोहल्ले के लोग उन्हें पानी की निकासी के लिए लगातार फोन कर रहे हैं। यहां पर पूरी तरह स्पष्ट है कि लोग पार्षदों को फोन ही नहीं करेंगे जलभराव की समस्या को लेकर उन् पर गुस्सा भी होंगे । क्योंकि उनके कारण ही नगर निगम क्षेत्र में मानसून की दृष्टि से वह सब कार्य समय से नहीं हो सके जो कि आवश्यक रूप से होने चाहिए थे ।
नाला गैंग कर्मचारियों की नियुक्ति यदि 15 फरवरी की नगर निगम बोर्ड की बैठक में ही हरी झंडी दे दी गई होती तो फिर न तो जलभराव की समस्या उत्पन्न होती है और न ही मोहल्ले के लोग पार्षदों को पानी की निकासी के लिए बार-बार फोन करते। अलबत्ता, 25 जुलाई को नगर निगम बोर्ड की बैठक फिर से बुलाई गई है । इसमें भी मेयर गौरव गोयल की ओर से शहर को डूबने से बचाने के लिए प्रस्ताव लाए गए हैं। अब देखना यह है कि जिन पार्षदों के द्वारा मानसून की दृष्टि से पूर्व में लाया प्रस्ताव का विरोध कर निरस्त करा दिया गया था। अब उनका इस बोर्ड की बैठक में क्या रुख रहता है । क्या वह प्रस्तावित नगर निगम बोर्ड की बैठक में पहले की तरह जलभराव की समस्या समाधान के प्रस्ताव का विरोध करेंगे या फिर समर्थन।
शहरवासियों की भी इस बार की बोर्ड की बैठक पर विशेष रूप से निगाह लगी है । क्योंकि बहुत सारे मोहल्ले के लोगों ने जलभराव की समस्या का सामना किया है। इसमें गणेशपुर, साउथ सिविल लाइंस, मोहनपुरा, न्यू आदर्श नगर ,सोलानीपुरम , सलेमपुर, सुनहरा,यहां तक कि सिविल लाइंस और पुरानी तहसील,अंबर तालाब में लोगों के घरों तक में पानी घुसा है।