जिलाधिकारी पलायन रोकने के गंभीर,
(विनोद मिश्रा)
बांदा। जिले से पलायन रोकने औऱ मनरेगा कार्यो में तेजी लाने के लिये जिलाधिकारी आनन्द कुमार सिंह अति गंभीर हो गये हैं। जिले से पलायन रोकने के लिये वह कटिबद्ध हो गये हैं, इसी लिये उन्होनें मनरेगा के तहत कार्यो की नये सिरे से समीक्षा करनें की ठान ली हैं। उनके द्वारा ब्लाकों को रिपोर्ट तैयार करनें के साथ ही उन्होनें जमीनी हकीकत परखने की रणनीति भी बनाई है। डीएम की रणनीति से जिम्मदार अधिकारी-कर्मचारी परेशान हैं।
आपको बता दें की जिला के गावों में कोरोना संक्रमण मार्च माह के पहले जैसे हालात नजर आने लगे हैं। संक्रमण के बाद बड़ी संख्या में लौट आए प्रवासी मजदूर फिर से पलायन कर गए हैं। ज्यादातर गांव मजदूरों से खाली हो चुके हैं। इसका सीधा असर मनरेगा से चल रहे विकास कार्यों पर पड़ा है।जिलाधिकारी आनन्द कुमार सिंहइन हालातों में अत्यंत गंभीर हैं।
अगर पुरे चित्रकूट मंडल पर नजर दौड़ाए तों पूर्व में चल रहे 3196 कार्यों में अब 1361 कार्य ही चल पा रहे हैं। 1835 कार्य ठप हो गए। मंडल के चारों जिलों में पंजीकृत 2.31 लाख मजदूरों में से सिर्फ 52,592 मजदूर ही मनरेगा के लिए उपलब्ध हो पा रहे हैं। पौने दो लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूर वापस परदेस जा चुके हैं।
मौजूदा समय में मंडल की 1408 ग्राम पंचायतों में 1361 मनरेगा कार्य चल रहे हैं, जबकि तीन माह पूर्व मजदूरों के लौटने पर मनरेगा कार्यों का यह आंकड़ा 3196 पहुंच गया था। प्रवासी श्रमिकों के पुन: महानगरों के पलायन करते ही कार्यों की संख्या औधे मुंह गिरी। 1835 काम ठप हो गए। ऐसे में ग्राम प्रधान और सचिव सहित संबंधित विभागों के अधिकारी मजदूरों की कमी से परेशान हैं। प्रधानों को यह चिंता है कि अगली छमाही में ही ग्राम पंचायतों के चुनाव होने हैं। ऐसे में उन्हें उपलब्ध बजट ठिकाने लगाना है और अपनी छवि भी बचाना है। चित्रकूटधाम मंडल में जॉबकार्ड धारक मजदूरों की संख्या 6,79,513 है। इनमें 2,74,570 महिलाएं हैं। कोरोना के पूर्व इनमें 2.31 लाख मजदूर मनरेगा में मजदूरी कर रहे थे।
मंडल में चल रहे मनरेगा कार्य और मजदूरों की स्थिति
जिला ग्राम पंचायतें जॉबकार्ड धारक मौजूदा श्रमिक देखा जाये तो बांदा 422 2ग्राम पंचायतें, जाबकार्ड40,549मजदूर 16,644हैं। इसी प्रकार
चित्रकूट 324 1,48,241 15,472,हमीरपुर 329 1,83,441 14,206
महोबा 262 1,06,782 5,810हैं।
मनरेगा से चल रहे विकास कार्य
जल प्रबंधन, कैटल शेड निर्माण, गो आश्रय स्थल निर्माण, सामुदायिक शौचालय, पंचायत भवन, आंगनबाड़ी केंद्र, सड़क निर्माण, कुआं सुंदरीकरण, पीएम व सीएम आवास निर्माण, बंधी निर्माण, मेड़बंदी, सड़क में मिट्टी कार्य आदि हैं।
गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत जून में शासन ने मनरेगा कार्यों के लिए मंडल के चारों जिलों को अलग-अलग बजट दिया था। बांदा में 81.56 करोड़, चित्रकूट 70.50 करोड़, महोबा 50 करोड़ और हमीरपुर को 60 करोड़ रुपये का बजट मुहैया कराया था। इसमें महज 1.2 अरब खर्च हुए हैं।
प्रवासी मजदूरों के वापस जाने के अलावा कुछ खेती-किसानी में लग गए हैं। इससे भी मजदूरों की संख्या में कमी आई है। बांदा जिला धिकारी फिर भी अधिक से अधिक कार्य और ज्यादा से ज्यादा मजदूरों को काम देने के लिए मुख्य विकास अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। मंडल के अन्य जिलों के लिये संयुक्त विकास आयुक्त रमेशचंद्र पांडेय के निर्देश फिलहाल प्रभावी नहीं दिखते। बांदा डीएम तो इस मसले पर अति गंभीर हैं।